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शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiva Tandava Stotram)

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  जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले गलेऽव-लंब्य-लंबितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम् ड मड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं   चकार-चण्डताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् ज टा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिंप-निर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥ २ ॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगंबरः क्वचिच्चिदंबरः प्रसीदतु॥ ३ ॥ लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥ ४ ॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः। भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः॥ ५ ॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुरिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिंपनायकम्। सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तु नः॥ ६ ॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके। धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्म...

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa)

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श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवनकुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार चौपाई (Chaupai) जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा अंजनिपुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल किंचित केसा हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे कांधे मूंज जनेऊ साजे शंकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग बंदन विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्रीरघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कंठ लगावें सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद शारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहां ते कबि कोबिद कहि सके कहां ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राजपद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना ...

जय गणेश जय गणेश आरती (Jai Ganesh Jai Ganesh Aarti)

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जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा एकदंत, दयावंत, चार भुजा धारी माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा दीनन की लाज रखो, शंभु सुतवारी कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा